Sunita Williams returned to Earth in a SpaceX capsule :- अंतरिक्ष से मंगलवार को सुनीता विलियम्स सुरक्षित लौट आई है , उनकी अंतरिक्ष में 286 दिन की यात्रा सफल रही है अंतरिक्ष यात्रा के दौरान सुनीता विलियम्स ने बहुत सारी उपलब्धियां भी दर्ज की हैं साथ ही वैज्ञानिक खोज को एक नई दिशा प्रदान की है।
सुनीता विलियम्स(Sunita Williams) के बारे में और जानकारी:
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- नौसेना करियर
- नासा करियर
- पुरस्कार और सम्मान
- व्यक्तिगत जीवन
सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितंबर 1965 को यूगांडा में हुआ था। उनके पिता दीपक पांड्या भारतीय मूल के हैं और गुजरात के उंझा में पैदा हुए थे। उनकी माता बोनी पांड्या अमेरिकी हैं। सुनीता विलियम्स का पालन-पोषण अमेरिका में हुआ था और उन्होंने नीडहम, मैसाचुसेट्स में हाई स्कूल से स्नातक किया। उन्होंने 1987 में संयुक्त राज्य नौसेना अकादमी से स्नातक किया और 1995 में फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से विमानन प्रणालियों में मास्टर डिग्री प्राप्त की।
नौसेना करियर
सुनीता विलियम्स ने 1987 में संयुक्त राज्य नौसेना में शामिल हुईं और एक हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में प्रशिक्षित की गईं। उन्होंने कई वर्षों तक नौसेना में सेवा की और विभिन्न पदों पर काम किया।
नासा करियर
सुनीता विलियम्स को 1998 में नासा के अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम में चुना गया था। उन्होंने दो बार अंतरिक्ष यात्रा की है: पहली बार 2006 में स्पेस शटल डिस्कवरी पर और दूसरी बार 2012 में सोयुज टीएमए-05एम पर। उन्होंने अंतरिक्ष स्टेशन पर भी काम किया है और कई अंतरिक्षवॉक किए हैं।
पुरस्कार और सम्मान
सुनीता विलियम्स को कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:- नासा डिस्टिंग्विश्ड सर्विस मेडल- नासा एक्सेप्शनल सर्विस मेडल- नासा स्पेस फ्लाइट मेडल- संयुक्त राज्य नौसेना के फ्लाइट सर्विस मेडल
व्यक्तिगत जीवन
सुनीता विलियम्स शादीशुदा हैं और उनके दो बच्चे हैं। वह एक मैराथन धावक भी हैं और कई मैराथन दौड़ में भाग ले चुकी हैं।एस्टोनॉट (Astronaut) अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले व्यक्ति को कहा जाता है। एस्टोनॉट्स विशेष रूप से प्रशिक्षित व्यक्ति होते हैं जो अंतरिक्ष में यात्रा करने के लिए तैयार किए जाते हैं।
एस्टोनॉट्स के कार्यों में शामिल हैं:
- अंतरिक्ष में वैज्ञानिक प्रयोग करना अंतरिक्ष स्टेशन पर काम करना
- अंतरिक्ष में चलना (स्पेसवॉक)अंतरिक्ष यान की मरम्मत करना
- अंतरिक्ष यान का संचालन करना
एस्टोनॉट्स को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है जिसमें शामिल हैं:
- शारीरिक प्रशिक्षण,
- मानसिक प्रशिक्षण,
- वैज्ञानिक प्रशिक्षण
- तकनीकी प्रशिक्षण
एस्टोनॉट्स को अंतरिक्ष यात्रा के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि शून्य गुरुत्वाकर्षण, विकिरण, और अलगाव। लेकिन एस्टोनॉट्स की मदद से हम अंतरिक्ष के बारे में अधिक जान सकते हैं और नए वैज्ञानिक खोज कर सकते हैं।
भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री
भारत की पहली अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला थीं। जो कि भारत का सम्मान है और नारी शक्ति की मिसाल है। उनका जन्म 1 जुलाई 1961 को हरियाणा के करनाल में हुआ था।
कल्पना चावला ने अपनी पढ़ाई पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ से की और बाद में अमेरिका चली गईं, जहां उन्होंने टेक्सास विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स किया ।कल्पना चावला ने 1997 में अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा की और 2003 में अपनी दूसरी यात्रा के दौरान कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में शहीद हो गईं।
उन्हें उनकी सेवाओं के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें कांग्रेशनल अंतरिक्ष पदक, नासा अन्तरिक्ष उड़ान पदक और नासा विशिष्ट सेवा पदक शामिल हैं ।
भारत से सम्बंध
सुनीता विलियम्स(Sunita Williams) का भारत से गहरा संबंध है। उनके पिता दीपक पांड्या भारतीय मूल के हैं और गुजरात के उंझा में पैदा हुए थे।
सुनीता विलियम्स की माता बोनी पांड्या अमेरिकी हैं।सुनीता विलियम्स(Sunita Williams) का जन्म यूगांडा में हुआ था, लेकिन उनका पालन-पोषण अमेरिका में हुआ था। उन्होंने अपने पिता से गुजराती भाषा और भारतीय संस्कृति के बारे में सीखा।
सुनीता विलियम्स ने कई बार भारत का दौरा किया है और उन्होंने अपनी भारतीय जड़ों पर गर्व व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि उनकी भारतीय विरासत ने उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया है।
सुनीता विलियम्स(Sunita Williams) की हाल ही की उपलब्धि यह है कि उन्होंने एक ऐतिहासिक वापसी की है और धरती पर लौटी हैं । यह उपलब्धि उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने अंतरिक्ष में बहुत समय बिताया है और कई रिकॉर्ड बनाए हैं। सुनीता विलियम्स की यह उपलब्धि न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे भारतीय समुदाय के लिए भी गर्व की बात है ।